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वैदिक विद्या मंदिर में हुई सरस्वती पूजन कार्यक्रम

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 वैदिक विद्या मंदिर में हुई सरस्वती पूजन कार्यक्रम   कोसीर। कोसीर मुख्यालय के वैदिक विद्या मंदिर में सरस्वती पूजन कार्यक्रम एवं मातृ-पितृ पूजन  दिवस मनाया गया ।   बसंत ऋतु को सभी ऋतुओ  से श्रेष्ठ माना जाता है ।ऋतु राज कहा जाता है जो प्रेम और उमंग के साथ जीवन से जुड़ी है बसंत पंचमी को विद्या की देवी सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है और उम्मीदों के साथ नई सुबह का स्वागत करते है। हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्त्व है ।  वैदिक विद्या मंदिर कोसीर स्कूल में सरस्वती देवी की पूजा अर्चना कर मातृ पितृ दिवस के रूप में याद करते हुए अपने शिक्षकों से विद्यार्थियों ने आशीर्वाद लिए । कार्यक्रम में विद्यालय के प्राचार्य  घनश्याम यादव, संचालक  भगवान दास श्रीवास एवं सभी शिक्षक शिक्षिकायें उपस्थित रहे ।

कपिस्दा में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ में सारंगढ विधायक उत्तरी जांगड़े हुई शामिल

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 कपिस्दा में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ में सारंगढ  विधायक उत्तरी  जांगड़े हुई शामिल भक्तजनों के साथ विधायक भी संगीत में थिरकती नजर आईं  कोसीर। कोसीर मुख्यालय के ग्राम कपिस्दा अ में मनोहर लाल साहू एवं ग्राम वासियों द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिवस श्रीमती उत्तरी  जांगड़े विधायक सारंगढ़ शामिल हुई सर्वप्रथम उन्होंने व्यासपीठ को नमन कर आशीर्वाद लेकर समस्त ग्राम और क्षेत्र वासियों के लिए मंगल कामना की तत्पश्चात आयोजन परिवार ने अतिथियों का पुष्प हार से स्वागत किया । व्यासपीठ से विधायक उत्तरी जांगड़े ने उपस्थित श्रोता समाज को संबोधित कर आयोजन एवं आमंत्रण के लिए बधाई व शुभकामना देते हुए भगवान राधा कृष्ण से सभी की मनोकामना पूर्ति के लिए कामना की एवं राज्य सरकार की योजनाओं को बतलाते हुए सभी से आशीर्वाद मांगी इस अवसर पर जिला पंचायत सदस्य वैजंती  लहरे,गनपत जांगड़े विधायक प्रतिनिधि,सरपंच पुनिराम जाटवार,वरिष्ठ कांग्रेसी दाऊ लाल साहू, करुण दयाल,मथुरा लहरे, एवम आयोजन परिवार एवं समस्त ग्रामवासी उपस्थित रहे।

ग्राम भोथली में भव्य टेनिस क्रिकेट प्रतियोगिता के समापन में विधायक उत्तरी जांगड़े ने की शिरकत

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 ग्राम भोथली में भव्य टेनिस क्रिकेट प्रतियोगिता के समापन में विधायक उत्तरी जांगड़े ने की शिरकत ग्रामवासियों वआयोजन समिति ने अतिथियों का किया अभूतपूर्व स्वागत कोसीर। मुस्कान क्रिकेट क्लब भोथली के तत्वाधान में भव्य टेनिस क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिस का समापन समारोह के अवसर पर आज फाइनल मुकाबला पुटीडीह विरुद्ध  भोथलि के मध्य खेला गया और पुटी डीह ने जीत दर्ज की जहां बतौर मुख्य अतिथि श्रीमती उत्तरी जांगड़े विधायक सारंगढ़, विशिष्ट अतिथि अरुण मालाकार जिला कांग्रेस अध्यक्ष ग्रामीण,श्रीमती तुलसी विजय बसंत जिला पंचायत सभापति,गनपत जांगड़े विधायक प्रतिनिधि,दुर्गेश अजय जनपद सदस्य प्रतिनिधि,महेंद्र गुप्ता राजीव युवा मितान क्लब विधानसभा समन्वयक रविंद्र पटेल अध्यक्ष सोसाइटी दुर्गेश पटेल रामनारायणपटेल,अनुज निषाद,गेंदालाल निषाद,नारद निषाद,अजय पटेल सचिव लीला सागर मैत्री,दिनेश मैत्री,सेवक मैत्री,की गरिमामय उपस्थिति में भव्य समापन समारोह आयोजित हुई अतिथियों का आगमन पर आयोजन समिति व ग्राम वासियों ने जोरदार गाजे-बाजे के साथ स्वागत किया तत्पश्चात अतिथि गण मंचासीन हुए जहां समस्त अतिथियों का आयोजन स

अपन गुरु मैं हर अपन पति ल मानथंव फिर दूसर पार्टी आय ,मोर क्षेत्र के जनता मोर परिवार आय जेमन संग सुबह ले देर रात ल रहिथो - सारंगढ विधायक उत्तरी जांगडे

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 अपन गुरु मैं हर अपन पति ल मानथंव फिर दूसर पार्टी आय ,मोर क्षेत्र के जनता मोर परिवार आय जेमन संग सुबह ले देर रात ल रहिथो - सारंगढ विधायक उत्तरी जांगडे  संवाद एवं सम्मान समारोह का हुआ आयोजन  कर्मा नृत्य के साथ विधायक का हुआ  भव्य स्वागत  सांस्कृतिक कार्यक्रम ने मंच में समा बांधा   पत्रकारों का संवाद समारोह में हुआ सम्मान  कोसीर । सारंगढ नगर के ऐतिहासिक नगरी सांस्कृतिक नगर कोसीर में रविवार 29 जनवरी को शाम 6 बजे से संवाद एवं सम्मान समारोह का आयोजन हुआ । संवाद एवं सम्मान समारोह के मुख्यअतिथि सारंगढ विधायक श्रीमती उत्तरी गनपत जांगडे एवं विशिष्ट अतिथियों में कांग्रेस जिला ग्रमीण के अध्यक्ष अरुण मालाकर , संजय दुबे ,श्रीमती सुनीता चन्द्रा ,श्रीमती वैजंती लहरे ,अनिका भारद्वाज एवं कांग्रेस वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का उनके आगमन पर कोसीर ग्राम पंचायत भवन के पास फटाखे फोड़कर कर्मा नृत्य के साथ संवाद कार्यक्रम आयोजक परिवार दुवारा स्वागत किया गया ।कर्मा नृत्य गाते -बजाते अम्बेडकर चौक से होते हुए कोसीर गांव की ऐतिहासिक देवी मंदिर पहुंची ।विहान समूह के महिलाओं ने राते में अतिथियों का आरती उतार कर स्वागत किया

हे मातृ भूमि ...

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  हे मातृ भूमि ,,, ————- हे मातृभूमि तेरे वन्दे हम सुबह – शाम करते नमन हम हैं नन्हे – मुन्हे नहीं हमें हैं रंज बचपन बीता तेरे चरणों की धूल में कभी न हम रूठे कभी न हम बहके बचपन में सखा से लड़े आम – पीपल की छांव में बैठे कभी नहाए कभी नहाए ही नहीं तन पर मटमैले कपड़े पहने फटे पैंट पहन कर भी रहे खुश नहीं था बचपन में कोई अभिमान नहीं थी कोई अभिलाषा बीत गया सुनहरा पल अब न कोई है अपना स्कूल की ओ मीठी यादें बेर चुराकर हमने खाये इमली पेड़ पर भी झूला झूले तालाब की पनघट पर खूब नहाए हाट बाजार में भी खेले दौड़ा दौड़ी कभी नहीं थके हम भाई बचपन बीता भूले सब अमराई जीवन की भागम भाग में अब बचपन फिर याद आयी मां की लोरी अब कहाँ सुनने को है मिलता अब तो जीवन का मतलब ही है बदला हे मातृ भूमि अब बचपन की वंदना हम भूले रिस्ते भी अब रिस्तेदार निभाते नहीं इंसान को समझ पाना अब बड़ी बात है ये जीवन मेरा तेरा उपकार है हे मातृ भूमि तेरे वन्दे हम ,,, लक्ष्मी नारायण लहरे “साहिल ”

कविता /महुआ -लक्ष्मी लहरे

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कविता /महुआ ————– पिंवर पिंवर दिखत हे डारा पाना संग झूलत हे नोनी के दाई बिनसरिहा ल महुआ ल बिनत हे बरछा के मेड म हावे महुआ के कोरी अकन पेड़ बरछा ह महमहावत हे मन ह हरसावत हे मीठ मीठ महक ले बरछा ह महकत हे रस्दा रेंगईया मन महुआ ल देखत हें नोनी के दाई कोंघर के महुआ ल बिनथ हे बिन बिन के झांहु म धरथ हे महुआ ल बिन के रोजी रोटी चलथ हे महुआ के हावें अबड़ मान देवी – देवता के भोग म चढ़त हे जिनगी के संदेस छुपे हावे महुआ म भुईंया म गिर के सुघ्घर महकत हे जिनगी के मीठ मीठ संदेस देवथ हे पिंवर पिंवर दिखत हे डारा पाना संग झूलत हे बरछा ह महमहावत हे जिनगी के सुघ्घर संदेस गुंगुनावत हे लक्ष्मी नारायण लहरे ” साहिल ”

कविता / छिम्मियाँ की छिम -छिम आवाजें ...

  कविता   छिम्मियाँ की छिम -छिम आवाजें ... ------------- पतझड़ की आहट और बसंत की दस्तक  मन में उमंग और उमंगित का विषय भर नहीं है  गुलाबी ठंठ की अलविदा की भी कहानी छुपी है  सूर्य की किरणें तेज होते हुए भी गुमनाम लगती है  जब सावन का महीना दिन भर बादल बरसती है  ऋतुओं का राजा बसंत जब आता है  पतझड़ की नव -सुबह पेड़ों में खुशियाँ लाता है  अमरैय्या में पहटिया का दस्तक  गाय -बैलों के बीच का एक आँगन में सम्बन्ध  यह कोई समझौता नहीं एक दूसरे के प्रति स्नेह भाव है  बसंत की दस्तक से  उपवन और बागियों में बाहर उमड़ पड़ी है  सिसम की ऊँचे -ऊंचे वृक्ष में महकती फूलों की बहार है  गुलमोहर और पसरसें भी खिलने को ब्याकुल हैं  पतझड़ बूढ़ा हो चला है  बसंत अपनी नव उम्मीदों से चहक रही है  प्रकृति की सुंदरता मन को हर्षित लग रही है  सिसम में लगे फल डालियों में हिल -डुल रहे हैं  सूखे छिम्मियाँ की छिम -छिम आवाजें  छंद बद्ध हवा की लहरों से बज रही है  लय बद्ध छिम -छिम की आवाजें  संगीत की धुन की तरह मन को भा रही है  अपने छंद और लय से बंसत की स्वागत गीत गा रही है  छिम -छिम की आवाजें मन को भरमा रही है  पतझड़ की गीत बसंत को सुना